नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि ।
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति सप्तमोऽध्यायः
हुं हु हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम् ।
देवी माहात्म्यं दुर्गा द्वात्रिंशन्नामावलि
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श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तरशत नाम्स्तोत्रम्
मम सर्वाभीष्टसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः ।
धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नीः, वां वीं वागधीश्वरी तथा।
श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)
येन मन्त्र प्रभावेण, चण्डी जापः शुभो भवेत।।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति नवमोऽध्यायः
ग्रहों के अशुभ प्रभाव खत्म हो जाते हैं. धन लाभ, विद्या अर्जन, शत्रु पर विजय, नौकरी में पदोन्नति, अच्छी सेहत, कर्ज से मुक्ति, यश-बल में बढ़ोत्तरी की इच्छा पूर्ण here होती है.
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